एकटा स्वप्न – जंगल में हेरा गेलहुं
काल्हि हम कनियाँ संगे एक टा सड़क किनार में ठाढ़ रही – पता नहिं कियैक.
सड़क के बीच के पट्टी पर बड़का-बड़का गाछ रहैक. एक टा छौड़ा ओहि गाछक नीचा बैसल रहैक – एक टा बड़का टोपी पहिरने. कनेक काल बाद एक टा लुक्खी गाछ पर स उतरलैक. छौड़ा लुक्खी के गौर स देख लगलै. लुक्खी कनेक नीचा एलई . ले तोरी के, ओ छौड़ा लुक्खी के पकडि लेलकई आ ओकर गर्दनि रेति देलकै. बड्ड मार्मिक दृश्य छलैक. मोन कनेक विदीर्ण भ उठल.
कनेक काल आर इंतज़ार केलहुं (पता नहिं कियैक आ कक्कर).
हौ बाबू , ई की? देखैत छी पाछा में जे गाछी सभ छलैक ताहि में एक टा शेर .. हमरा ठीक पाछा.
हम विस्मित ! हौ बाबू शेर ऐना छुट्टा घुमतैक? कोनो दीवार नहिं? कोनो जाली-फट्टक नहिं?
कनेक काल आर इंतज़ार केलहुं (पता नहिं कियैक आ कक्कर).
हौ बाबू , ई की? देखैत छी की एक टा सनगोहि दौरल सड़क के दोसर दिस सं आयल. हम डेरेलहूँ – लेकिन ओ सीधा एक टा विशालकाय गीदड़ के पेट पर आक्रमण क देलकै. आ किछुए क्षण में धरती लाले लाल भ उठलै .
कनेक काल आर इंतज़ार केलहुं (पता नहिं कियैक आ कक्कर).
हम दुनुं गोटे एक-दोसर के हाथ में हाथ लेने – पैरे-पैरे आगा बढ़लहूँ.
आह की मनोरम दृश्य छलैक! चारू कात जंगल , फल स लदल गाछ सभ. कखनो-कखनो पैर में झार-झंखार फंसि जाय त हाथ स छोरा आगा बर्हि जाई.
जंगल, एकांत आ संग में कनियाँ (आ हुनक सुन्दरता के वर्णन की करू?) – आर ककरो की चाही अहि जिनगी में?
पैर में एक टा कांट गरल – आ तखन होश भेल – हम सभ कतय छी? चारू कात जंगल, शेर, बाघ आ जंगली जानवर सभ मस्त भय रमण का रहल छलैक.
दूर – दूर तकि कोनो घर-दॊआरि के चेन्ह नहिं. कतय छी हम सभ?
ई त हम सभ जंगल में हेरा गेलहुं?
शेर सभ दहारि रहल छल, बाघ सभ गुर्रा रहल छल. सभ टा प्रणयात्मक बात भुला गेल.
कनियाँ के कहलियन्हि, हमर हाथ नहिं छोरब (मोने मोन कहलहुं – जं हाथ छोरलहूँ त बस आई संगक अंतिम दिन ).
पाछा दिस लौटलहूँ – डेराईत-डेराईत. जहां देखी तहीं बाघ आ शेर. किछु आर पाछा एला उपरांत – किछु घर-दुआरि देखाई पडल.
तखनहिं एक टा शेर पाछा दिस स आयल दहारैत.. कनिया के कहलियन्हि – जं ई हमला करत त दुन्नु गोटे मिलि मुक्के-मुक्के एकरा मारब आ जोर स चिचियायब. लेकिन भाग्य नीक छल – शेर बिना किछु कहने आगा बर्हि गेल.
आगा किछु खेत छल – आ खेत में किछु महिला लोकनि नित्य-क्रिया स निवृत होइत रहैथ.
आगा बढ़लहूँ – एक टा बूढ़ा भेटलाह. पुछलियन्हि – ई कोन जगह छैक यौ? उत्तर भेटल – ई छैक टिपाका गाम. फेर पुछलियन्हि – अतय सं दिल्ली कोना पहुंचब? उत्तर भेटल – आगा ७१ या ८० चौराहा सं दिल्ली के जीप भेटि जायत.
दुनु गोटे हाथ में हाथ लेने – आगा बढ़लहूँ. पता नहिं मुख्य सड़क स भटकि क कखन गामक पगडंडी पर आबि गेलहुं. कनियाँ घर पहुंचबाक लेल किछु बेसिए धरफरायल छलीह. तेजी- तेजी चली रहल छलीह. हम कहलियन्हि – धीरे चलु – गामक सड़क छैक.
सड़क किछु ज्यादे पातर रहैक आ सीमेंटक बनल रहैक. सड़क में ढलान सेहो रहैक – देखलियै आगा किछु आमक गाछ छैक आ सड़क उम्हरे जा रहल छैक. विदा भेलहुँ – लेकिन ई की? सड़क ख़तम आ नीचा द का एक टा नदी कल-कल बहि रहल छल.
वापस मुरलहूँ – दोसर पगडंडी पकड़लहूँ – जा ईहो ख़तम? आब की करब?
ई सोचिते छलहूँ की निन्न खुलि गेल.
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