ह्रदय, मस्तिष्क आ मनुक्ख के जीवनक दशा आ दिशा
मस्तिष्क आ ह्रदय – इ दू टा अंग – मनुक्ख के जीवनक दशा आ दिशा तय करैत छै.
यदि मस्तिष्क आ ह्रदय दुनु एक दोसर सं हिलि-मिलि क रहि रहल अछि – स्वर्गक सुख पृथ्वी पर भेटत – नहिं त जीवन के नरके बुझु.
किछु दिन पहिले बम्बई जेबाक प्रस्ताव भेटल – १-२ महिना लेल.
मस्तिष्क आ ह्रदय में भीषण संघर्ष शुरू भेल.
मस्तिष्क कहय नहिं जो – ह्रदय कहय – भाग-जल्दी-सं-भाग किछु दिन लेल अहि तरहें रोजमर्रा के दुनियां सं मुक्ति भेटतौ.
कखनो ह्रदय आ मस्तिष्क अपन पक्ष अदला-बदली सेहो क लैत छल.
पता नहिं जीत ह्रदय के भेलई या मस्तिष्क के – २८ अप्रैल २०१४ के बम्बई एलहुं – काजक सन्दर्भ में – एक टा बैंक में लोन मैनेजमेंट सिस्टम के युएटी के लेल – आ तहिया सं दिन-राति कार्य में लागल छलहूँ.
आइ मस्तिष्क थाकि गेल छल – ह्रदय कनियाँ सं दूर रहबा के कारण व्याकुल छल – ह्रदय आ मस्तिष्क एक दोसर सं बहुत दूर भ गेल छल – आइ रवि रहितो काज में लागल छलहूँ – ६ बजे काज समाप्त भेला उपरान्त लैपटॉप एकटा सहकर्मी के पकरा देलियन्हि – आ विदा भ गेलहुं मरीन-ड्राइव के दिस.
सुन्दर-शीतल हवा पाबि चित्त प्रफुल्लित भ उठल. समुद्रक छोट-छोट लहरि के निहारैत छलहूँ – ह्रदय के अन्दर बहुत प्रकारक भाव आबि रहल छल – आ समुद्रक लहर संग विलीन सेहो भ रहल छल.
आकाश दिस नजरि उठेलहूँ – पंचमी के दिन चन्द्रमा कतेक सुन्दर लागैत छैक – कहियो शांत-चित्त भ क देखियौ – अनिर्वचनीय.
एकटा उज्जर मेघक टूकरी – चन्द्रमा के अर्ध-आच्छादित केने – हमर नजरि चन्द्रमा पर – आ ओहि में सं झाँकि रहल छलीह हमर कनियाँ.
चन्द्रमा – नहिं – कनियाँ के देखि मोन – मंत्र -मुग्ध छल –
ह्रदय आ मस्तिष्क एके संगे हिलि-मिलि क जिनगी के स्वर्ग बनौने छल.
तखने ह्रदय के कोनो कोण में तेज पीड़ा के अनुभव भेल – जिनगी के कठोर धरातल पर छलहूँ – ह्रदय आ मस्तिष्क एक दोसर के विपरीत – किछु क्षणक स्वर्ग – आ फेर नरक में खसलहूँ.
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