मरूआ के रोटी
विशेष उल्लेख : अहि लेख में कनियाँ शब्द के तात्पर्य सभ मैथिल गृहिणी सं लेल जाय जे मैथिल संस्कृति, खान-पीन-रहन-सहन के रक्षक आ उत्थानकर्ता छथि।
लगभग दू बरख पहिने एक टा आलेख लिखने छलहुँ – मैथिल आ आत्महीनता। हमर उद्देश्य छल मैथिल बन्धुगण सभकें बतेबाक जे अपन खान-पीन-रहन-सहन के आदर करू। मुदा लागि रहल अछि बहुत रास मैथिल सभ आत्महीनता सं अखनो ग्रसिते छथि।
आजुक भोरका गप्प बताबी – हमरा ट्रेन पकड़बाक छल – घर पर जलखई लेल बनल मरूआ के रोटी आ रस्ता लेल गहूँमक। हम सुझाव देलियैक -अकरा उल्टा क दियौ – जलखई में गहूँमक रोटी दs दियs आ रस्ता लेल मरूआ के।
कनियाँ अहि बात के नहियें पचा सकलथि -आइ हमहूँ कनेक अड़ि गेलहूँ – रस्ता लेल या तs मरूआ के रोटी ल जायब या किछु नहिं। परिणाम भयंकर भेटल! कनियाँ रोटी के नचा कs दुर फेकली – आ हमरा पर नोरक इन्होर ढारs लगली – हमहूँ मोने-मोन सोचलहुँ -हूनके नोरक इन्होर सं हूनके आत्महीनता के धो दियन्हि – आ हम मरूआ के रोटी लs गाम सं विदाह भेलहुँ। आगा आरो भयंकर परिणाम प्रतीक्षा कs रहल छल – कनियाँ के आँखि में आइ नोर नहिं एलन्हि – नोरक इन्होर भरल छलन्हि।
अही कनियाँ के रस्ता भरि पंजाबी मठरी भक्षण करै में कनिको अछोप नहिं लगलन्हि मुदा मरूआ के रोटी …..
हम रस्ता भरि अहि आत्महीनता के कारण के मीमांसा करति एलहूँ – किछू कारण निम्नवत देल अछि –
१. धिया-पुता के बचपन में देल गेल कुसंस्कार – मरूआ के रोटी खराब आ मरूआ के डोसा बड्ड नीक
२. आत्महीन माँ-बाबू आ सगा संबंधी – अपन खान-पीन-रहन-सहन के नीच देखबैत – धिया -पुता जिनगी भरि लेल आत्महीन बनि जाइत अछि
Leave a Reply