फगुआ के किछु भुलल-बिसरल लोक परंपरा
प्रायः सभ गोटे होली दिन सांझक काल होलैया संग होली गेने होयब। पहिने सभ जाति के अपन होलैया मंडली होइत छलै। किछु लोक ढोल, झालि आ डंफा में पारंगत आ किछु लोक होली गीत गाबय में। किछु लोक हमरो सनक होइत छल जे २ टा काज में प्रवीण – १. हो हो करबा में २. जोगी रा सा रा रा करबा में
आब इ परंपरा प्रायः लुप्त भ गेल अछि। आब लोक सभ (तथा कथित उच्च जाति), ट्रैक्टर/कोनो आन गाड़ी पर बड़का-बड़का कानफोड़ू साउंड बॉक्स आ इलेक्ट्रिक जेनरेटर लादि, कोनो उक्खरि-समाठ वला गीत लगा पुरे टोल/गाम में अपन माय, बहिन के गारि सुनबैत घुमि जाइत छथि।
अहि विकराल समय में लोक परंपरा के संयोगने छथि किछु लोक, किछु जाति। ओ अखनो होलैया मंडली बना क होली गाबैत छथि। इ आलेख हुनके सभ के समर्पित अछि।
फगुआ के सांझ में फाग गबैत होलैया
इ सुनू होलैया द्वारा गाओल होली गीत (बाबा हरिहरनाथ )
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